Friday, November 12, 2010

तेरे बारे मे ना सोचु तो जरा करार सा लगता है!
मेरी नई तनहाई का आलम नया सा लगता है!

ना तुं आयेगा, ना तेरा खयाल्,
सांसे मेरी जैसे खमोश सी मध्धम चलती रहेगी !

ना मेरा झुमना तेरी खुशी मे,ना मेरा नाचना बाहें डालके,
ना तेरे लिये मेरा सजना संवरना और मुस्कुराना!

दिन निकलता है तो भले निकले,रात भी जाये,
अब घडी या समय या नियम से क्या नाता?

अब तो रोज मै ऐसे फिरुं रस्ते मे, घर मे,
जैसे सदियों से नाता नहीं तेरे प्यार से मुझे!

तेरे बगैर दुनिया अजीब सी नई लगती है,
सिर्फ तूजे ही देखने मे मैने अनदेखा किया वो दुनिया दिखती है!

पर क्या करुं ? तनहाईयां तेरी दी हुई है............
फिर भी तेरे जितनी ही..ना!......कुछ ज्यादा ही प्यारी लगती है!
**ब्रिंदा**
चलते होंगे हम दोनो,
जैसे एक ही शहर मे है दोनो!
सुरज रोज की तरहा डुबता होगा,
हवांए भी सुंदर सी सजीली,
सुनहरी धुमती होगी,
तेरी मेरी दुरीयां के बीच!

तुम एसे ही टहल्ते होगे,
मोहल्ले के बीच
और
आंखे मेरे ही खयाल मे
डुबती होगी!

जब होता होगा खयाल मे ,
हसके आना मेरा,
सांसे तुम्हारी जरा
तेज युंही हो
जाती होगी !

मै भी ऐसे ही
झुले पे मेरे गेसुओ को
युहीं सहलाते लहेराऊगी
आंखे तेरे खयाल मे
युहीं
खोयी सि झुकी होगी!

पर आंखे तितली बनके
ऊड पडेगी तेरी ओर,
दिल मिलने को,
युहीं
बेकरार होता
रहता होगा!

सिर्फ हवाएं आपस मे
बांट लेगी सांसे हमारी,
वो सोचे शायद्
युहीं
हमे जरा सा करार मीले भी!

चलते होंगे हम दोनो
जैसे एक ही शहर मे दोनो,
एक दुसरे मे
युहीं
एक दुसरे को
ढुंढते हो दोनो!

**ब्रिंदा**