Sunday, October 30, 2011

मूस्कुराती आंखे......
देखती रही...दिखती रही...हर पल जैसे!

शांम होने वाली थी पर,
शाम हो गई सुरीली जैसे,
धीमी हवा से डाल के पत्ते भी हीलते-गाते थे,
उसमे चमकती हुई धूप भी गाने लगी मुस्कुराते जैसे !

मैं तो चलती रही पर मेरे पीछे ,
पीछे पीछे आती रही तेरी मुस्कुराती आंखे वैसे,
शोख आंखो के तुम,
या आखे तुम से शोख !!!
क्या कहें .....पर में शोखीयों मे डूबी जैसे !!

मुस्कुराती आंखो का ये सफर,
दोनो एक दुसरे मे मुस्कुराती,
पर साथमे सारी दुनिया इतनी सुर मे गाती जैसे,
ता..क...धी..न...

**ब्रिंदा**

Saturday, October 8, 2011



जो पल जीये, उसे शब्द पहेनाये मैने,
कोई शिकवा नहीं, कोई गिला नहीं,
इतना मिलने के बाद,
ए,जिदगी, तुजे एक कविता बनाई मैने,

... आंखे खोलुं तो उजाले भर देती है तुं,
आंखे मुंदू तो सपने सजा देती है तुं.
मै सोचुं, क्युं ईतना प्यार है मुजेसे तुम्हे,
तो बोली क्यु लुभाती है तुं !
हां,
मुजपे झूकती है, तेरी नाझुक, मासुम पलको की तरह तुं,
या,
कभी थोडी सी चूभती है, दो दिन बढ़ी तेरी दाढी की तरह तुं !

तेरे साथ का एक पल पुरी जिंदगी जिया जैसे,
बस,तेरी एक पल के लीये कीतनी जिंदगी युंही जी ली मैने!
**ब्रिंदा**

Tuesday, October 4, 2011

कैसा लगता है,
प्यार को अपने लिये रास्ते पे चलके आते देखना,
साथमे अपने जैसे फुलोका गुलदस्ता लेके आया, ऐसे देखना!

वो गुनगुनाते हंसते हुए आते है जैसे
उसकी सब रागिणीयों को तुम सुनके देखना!

खुशनसिब होते है जिसपे वो चलते है,
दिल की पगडंडीयों पे उनके चलने का अंदाझ देखना !

शायद, बारिश का मौसम हो जैसे,
उसका सिर्फ एक लम्हा चुराके देखना!

शायद, उसका दिल धडकता हो ऐसे मे,
उसका दिल चुराके देखना !

शायद, लेना या देना होता नही इस दुनिया मे जैसे,
कभी उसको सिर्फ एकबार पाके देखना !
**ब्रिंदा**
तुम जब ये शहर छोडो ,
तो अपनी खूश्बु छोड जाना!
तुम जाते जाते शहर से,
अपने साथ बहार ना ले जाना !
तुम गुजरे थे जहां से,
तुम्हारी उंगलियों की तस्वीर दिवारों पे लिख जाना!
ओ जाना,जब तुम छोडो शहर,
तो अपने साथ बादलो का काफिला यहीं छोड जाना!
बादलों की झरुरत होगी आंखोंको बरसने के लिये,
दुनिया के सामने क्या रोना जाना!
मेरे जाना, जब तुम छोडो शहर,
तो अकेले मत जाना, अपने साथ मुजेभी ले जाना !
तुम जाते जाते मेरा ना एक बार पुकारना,
तुम्हारे जाने के बाद गुंजती रहेगी मेरे आसपास जाना !
जानेजाना,तुम जब छोडो शहर,
तो दुर न रहेकर एकबार गले लगा लेना जाना!
खिडकी पे ताकती मासुम धुपके जैसे,
अपनी खरी मुस्कान छोड जाना, ओ,,जाना!
**ब्रिंदा**