ख्वाबो का दौर होता तो कभी खत्म भी हो जाता,
पर तुम तो ख्वाब का दरिया हो ,
मेरे उपर बेपरवाह छाया हुआ.!
मुलाकात का सिलसिला कभी तो "शुक्रिया' से खत्म तो हो जाता,
पर तुम तो मेरे जीने का फलसफा हो,
मेरे दिल मे सांसे लेता हुआ!
रास्ता सैर का होता तो मंझिल पे खत्म तो हो जाता,
पर तुम तो कभी ना खत्म हो वो रास्ता हो,
मेरी मौजुदगी इस जहां मे दिखाता हुआ!
तेरा और मेरा मुसल्सल युं ऐसे इसी राह पे चलना और चलते रहेना!
**ब्रिंदा**
Monday, December 19, 2011
Friday, December 2, 2011
एक पल तुम्हे सोचू,
फिर सोचू,
तुम्हे मैं क्यूं सोचू?
तेरा आना चुपके से,
दबे पांव सुस्त से सपने जैसा,
अपने सपने को शबभर चलाना,
फीरभी मेरे दिल का युं उंमडना,
एक पल के लिये भी
मै तुम्हे क्युं सोचू?
पत्ते गिरते है पतझडमें तडपके नीचे जमी पे,
एक साल तरसते हैं जैसे,ताकते रहेते हैं,नीचे बिछी जमीं को,
तेरा ऐसे ही तडपके मुझेयुं मीलना,
फिर भी,एक पल भी कभी ना मैं तूम्हे सोचू !
एक पल सोचूं तुम्हे,
मैं जब 'मैं" बोलुं तो सोचूं की,
मैं 'तु" बोलुं!
ईतनाभी फासला नही है, मैं और तुं के बीच,
फीरभी मैं तुम्हे एक पल क्युं सोचुं ?
जब एक पल तुम्हे सोचू,
ठंडी चट्टानो पे चलते, पांव मे मीठी ठंडक लगे जैसे,
फिरभी कोहरे की खूश्बु और गर्मी सा,
तेरा मुझसे गुफ्तगु करना,
एक पल सोचूं तुम्हे,
की कभी ना तुं सोचे मुझे!!!!!
**ब्रिंदा**
फिर सोचू,
तुम्हे मैं क्यूं सोचू?
तेरा आना चुपके से,
दबे पांव सुस्त से सपने जैसा,
अपने सपने को शबभर चलाना,
फीरभी मेरे दिल का युं उंमडना,
एक पल के लिये भी
मै तुम्हे क्युं सोचू?
पत्ते गिरते है पतझडमें तडपके नीचे जमी पे,
एक साल तरसते हैं जैसे,ताकते रहेते हैं,नीचे बिछी जमीं को,
तेरा ऐसे ही तडपके मुझेयुं मीलना,
फिर भी,एक पल भी कभी ना मैं तूम्हे सोचू !
एक पल सोचूं तुम्हे,
मैं जब 'मैं" बोलुं तो सोचूं की,
मैं 'तु" बोलुं!
ईतनाभी फासला नही है, मैं और तुं के बीच,
फीरभी मैं तुम्हे एक पल क्युं सोचुं ?
जब एक पल तुम्हे सोचू,
ठंडी चट्टानो पे चलते, पांव मे मीठी ठंडक लगे जैसे,
फिरभी कोहरे की खूश्बु और गर्मी सा,
तेरा मुझसे गुफ्तगु करना,
एक पल सोचूं तुम्हे,
की कभी ना तुं सोचे मुझे!!!!!
**ब्रिंदा**
Saturday, November 12, 2011
ચાલો,, દિવાળી પછી ફટાકડા ફોડીયેઃઃ
ચાલો,, દિવાળી પછી ફટાકડા ફોડીયેઃઃ
ફેસબુક નામ આપી ને દુનિયા અલગ બનાવી,
પણ વોલ કરી દીધી ઉભી,
બારી, બારણાં ને ખાળ દરવાજા,રાખ્યા સાવ ખોલી, ભૈ.!!
પ્રમાણિકતા ને પ્રેમ સિવાય અહી બધું જ મળે,
તો યે પોતાને ઉત્કૃષ્ટ સહુ કોઈ ગણે , ભૈ!
ડોકાબારીમાંથી રુપકડા સૌ ટોળે વળતા,
ને ટ્રાફીક જામ જેવું પળ માં કરે,ભૈ!
બ્લેંક વોલ વાળા ભરચક ચકચાર માં,
ને ભરચક વોલવાળા સાવ બ્લેંક રે, ભૈ!
ફેસબુકમાં પોતાનો "ફેસ" છૂપાવી,
ને પોતાનો "ફેસ"ગોત્યા કરે એ, તો ભૈ!
**બ્રિંદા**
ચાલો,, દિવાળી પછી ફટાકડા ફોડીયેઃઃ
ફેસબુક નામ આપી ને દુનિયા અલગ બનાવી,
પણ વોલ કરી દીધી ઉભી,
બારી, બારણાં ને ખાળ દરવાજા,રાખ્યા સાવ ખોલી, ભૈ.!!
પ્રમાણિકતા ને પ્રેમ સિવાય અહી બધું જ મળે,
તો યે પોતાને ઉત્કૃષ્ટ સહુ કોઈ ગણે , ભૈ!
ડોકાબારીમાંથી રુપકડા સૌ ટોળે વળતા,
ને ટ્રાફીક જામ જેવું પળ માં કરે,ભૈ!
બ્લેંક વોલ વાળા ભરચક ચકચાર માં,
ને ભરચક વોલવાળા સાવ બ્લેંક રે, ભૈ!
ફેસબુકમાં પોતાનો "ફેસ" છૂપાવી,
ને પોતાનો "ફેસ"ગોત્યા કરે એ, તો ભૈ!
**બ્રિંદા**
Sunday, October 30, 2011
मूस्कुराती आंखे......
देखती रही...दिखती रही...हर पल जैसे!
शांम होने वाली थी पर,
शाम हो गई सुरीली जैसे,
धीमी हवा से डाल के पत्ते भी हीलते-गाते थे,
उसमे चमकती हुई धूप भी गाने लगी मुस्कुराते जैसे !
मैं तो चलती रही पर मेरे पीछे ,
पीछे पीछे आती रही तेरी मुस्कुराती आंखे वैसे,
शोख आंखो के तुम,
या आखे तुम से शोख !!!
क्या कहें .....पर में शोखीयों मे डूबी जैसे !!
मुस्कुराती आंखो का ये सफर,
दोनो एक दुसरे मे मुस्कुराती,
पर साथमे सारी दुनिया इतनी सुर मे गाती जैसे,
ता..क...धी..न...
**ब्रिंदा**
देखती रही...दिखती रही...हर पल जैसे!
शांम होने वाली थी पर,
शाम हो गई सुरीली जैसे,
धीमी हवा से डाल के पत्ते भी हीलते-गाते थे,
उसमे चमकती हुई धूप भी गाने लगी मुस्कुराते जैसे !
मैं तो चलती रही पर मेरे पीछे ,
पीछे पीछे आती रही तेरी मुस्कुराती आंखे वैसे,
शोख आंखो के तुम,
या आखे तुम से शोख !!!
क्या कहें .....पर में शोखीयों मे डूबी जैसे !!
मुस्कुराती आंखो का ये सफर,
दोनो एक दुसरे मे मुस्कुराती,
पर साथमे सारी दुनिया इतनी सुर मे गाती जैसे,
ता..क...धी..न...
**ब्रिंदा**
Saturday, October 8, 2011
जो पल जीये, उसे शब्द पहेनाये मैने,
कोई शिकवा नहीं, कोई गिला नहीं,
इतना मिलने के बाद,
ए,जिदगी, तुजे एक कविता बनाई मैने,
... आंखे खोलुं तो उजाले भर देती है तुं,
आंखे मुंदू तो सपने सजा देती है तुं.
मै सोचुं, क्युं ईतना प्यार है मुजेसे तुम्हे,
तो बोली क्यु लुभाती है तुं !
हां,
मुजपे झूकती है, तेरी नाझुक, मासुम पलको की तरह तुं,
या,
कभी थोडी सी चूभती है, दो दिन बढ़ी तेरी दाढी की तरह तुं !
तेरे साथ का एक पल पुरी जिंदगी जिया जैसे,
बस,तेरी एक पल के लीये कीतनी जिंदगी युंही जी ली मैने!
**ब्रिंदा**
Tuesday, October 4, 2011
कैसा लगता है,
प्यार को अपने लिये रास्ते पे चलके आते देखना,
साथमे अपने जैसे फुलोका गुलदस्ता लेके आया, ऐसे देखना!
वो गुनगुनाते हंसते हुए आते है जैसे
उसकी सब रागिणीयों को तुम सुनके देखना!
खुशनसिब होते है जिसपे वो चलते है,
दिल की पगडंडीयों पे उनके चलने का अंदाझ देखना !
शायद, बारिश का मौसम हो जैसे,
उसका सिर्फ एक लम्हा चुराके देखना!
शायद, उसका दिल धडकता हो ऐसे मे,
उसका दिल चुराके देखना !
शायद, लेना या देना होता नही इस दुनिया मे जैसे,
कभी उसको सिर्फ एकबार पाके देखना !
**ब्रिंदा**
प्यार को अपने लिये रास्ते पे चलके आते देखना,
साथमे अपने जैसे फुलोका गुलदस्ता लेके आया, ऐसे देखना!
वो गुनगुनाते हंसते हुए आते है जैसे
उसकी सब रागिणीयों को तुम सुनके देखना!
खुशनसिब होते है जिसपे वो चलते है,
दिल की पगडंडीयों पे उनके चलने का अंदाझ देखना !
शायद, बारिश का मौसम हो जैसे,
उसका सिर्फ एक लम्हा चुराके देखना!
शायद, उसका दिल धडकता हो ऐसे मे,
उसका दिल चुराके देखना !
शायद, लेना या देना होता नही इस दुनिया मे जैसे,
कभी उसको सिर्फ एकबार पाके देखना !
**ब्रिंदा**
तुम जब ये शहर छोडो ,
तो अपनी खूश्बु छोड जाना!
तुम जाते जाते शहर से,
अपने साथ बहार ना ले जाना !
तुम गुजरे थे जहां से,
तुम्हारी उंगलियों की तस्वीर दिवारों पे लिख जाना!
ओ जाना,जब तुम छोडो शहर,
तो अपने साथ बादलो का काफिला यहीं छोड जाना!
बादलों की झरुरत होगी आंखोंको बरसने के लिये,
दुनिया के सामने क्या रोना जाना!
मेरे जाना, जब तुम छोडो शहर,
तो अकेले मत जाना, अपने साथ मुजेभी ले जाना !
तुम जाते जाते मेरा ना एक बार पुकारना,
तुम्हारे जाने के बाद गुंजती रहेगी मेरे आसपास जाना !
जानेजाना,तुम जब छोडो शहर,
तो दुर न रहेकर एकबार गले लगा लेना जाना!
खिडकी पे ताकती मासुम धुपके जैसे,
अपनी खरी मुस्कान छोड जाना, ओ,,जाना!
**ब्रिंदा**
तो अपनी खूश्बु छोड जाना!
तुम जाते जाते शहर से,
अपने साथ बहार ना ले जाना !
तुम गुजरे थे जहां से,
तुम्हारी उंगलियों की तस्वीर दिवारों पे लिख जाना!
ओ जाना,जब तुम छोडो शहर,
तो अपने साथ बादलो का काफिला यहीं छोड जाना!
बादलों की झरुरत होगी आंखोंको बरसने के लिये,
दुनिया के सामने क्या रोना जाना!
मेरे जाना, जब तुम छोडो शहर,
तो अकेले मत जाना, अपने साथ मुजेभी ले जाना !
तुम जाते जाते मेरा ना एक बार पुकारना,
तुम्हारे जाने के बाद गुंजती रहेगी मेरे आसपास जाना !
जानेजाना,तुम जब छोडो शहर,
तो दुर न रहेकर एकबार गले लगा लेना जाना!
खिडकी पे ताकती मासुम धुपके जैसे,
अपनी खरी मुस्कान छोड जाना, ओ,,जाना!
**ब्रिंदा**
Friday, September 23, 2011
देखो,
सपने से मिला सपना,
तुम तो बिलकुल वैसे ही, जैसे सामने होते हो,
वो ही अल्लहडपन~ आवारगी,
हंसना तुम्हारा वोही, बेरुखी भी....इश श श...वोही!
बोलो,
तुम भी तो वोही, चलते फिरते,
अपने बालो को सहलाते,
और मेरी तरफ अपनी आंखे ठहराते हुए,
आंखो मे जैसे लब्झ जमे हो,पर कूछ कहेते ही नही !!
सुनो,
लोग कहेते है की सपनो की दुनिया बडी हसीन होती है,
पर, तुम तो वोही तुफानी आंखो के साथ मिलते हो,
आंखों मे ही क्या अपना प्यार छुपाते हो?
सपने मे भी दिल क्युं दिखाते नहीं?
सोचो,
लोग कहेते है की सपनो मे परवाली परी होती है,
पर, तुम और मै तो युहीं हाथ मे हाथ लिये बाते किये जा रहे हैं~ हंसते हुए,
लोग ना जाने कैसे बीना पंख उडते है , खयालो में,
और तुम, मुजे बिना पंख अजीब सफर कराते हो!
एक बार कहो,
मेरे सपने मे मीला तुम्हारा सपना !!
**ब्रिंदा**
सपने से मिला सपना,
तुम तो बिलकुल वैसे ही, जैसे सामने होते हो,
वो ही अल्लहडपन~ आवारगी,
हंसना तुम्हारा वोही, बेरुखी भी....इश श श...वोही!
बोलो,
तुम भी तो वोही, चलते फिरते,
अपने बालो को सहलाते,
और मेरी तरफ अपनी आंखे ठहराते हुए,
आंखो मे जैसे लब्झ जमे हो,पर कूछ कहेते ही नही !!
सुनो,
लोग कहेते है की सपनो की दुनिया बडी हसीन होती है,
पर, तुम तो वोही तुफानी आंखो के साथ मिलते हो,
आंखों मे ही क्या अपना प्यार छुपाते हो?
सपने मे भी दिल क्युं दिखाते नहीं?
सोचो,
लोग कहेते है की सपनो मे परवाली परी होती है,
पर, तुम और मै तो युहीं हाथ मे हाथ लिये बाते किये जा रहे हैं~ हंसते हुए,
लोग ना जाने कैसे बीना पंख उडते है , खयालो में,
और तुम, मुजे बिना पंख अजीब सफर कराते हो!
एक बार कहो,
मेरे सपने मे मीला तुम्हारा सपना !!
**ब्रिंदा**
Thursday, September 15, 2011
मै तुम्हारी यादों का तर्जुमा करती रही रातभर,
दरवाझा खोलके याद आई,
पर सन्नाटे सी गुंजती रही रातभर!
युं सोचुं के सामने तुम हो,
पर परछाई सी छाई रही रातभर !
आवाझ तो कोई न थी कही भी,
पर सरआम गीत गुंजता रहा रातभर!
तुम्हारी उन्गलीयोंमे उंगलीयां पीरोके,
गिन्ती सही की थी मिलनेकी,
पर तन्हाई ही कटती रही रातभर !
काश,की तुम याद के साथ चले आते,
पर, सिने मे याद चुभती रही,
पुकारने के लब्झ न मीले रातभर !
काश, तुम मिले ना होते
ऍक बेमौसम बारीश की तरह,
पर मील गये हो तो बरसते क्युं नहीं रातभर !
**ब्रिंदा**
दरवाझा खोलके याद आई,
पर सन्नाटे सी गुंजती रही रातभर!
युं सोचुं के सामने तुम हो,
पर परछाई सी छाई रही रातभर !
आवाझ तो कोई न थी कही भी,
पर सरआम गीत गुंजता रहा रातभर!
तुम्हारी उन्गलीयोंमे उंगलीयां पीरोके,
गिन्ती सही की थी मिलनेकी,
पर तन्हाई ही कटती रही रातभर !
काश,की तुम याद के साथ चले आते,
पर, सिने मे याद चुभती रही,
पुकारने के लब्झ न मीले रातभर !
काश, तुम मिले ना होते
ऍक बेमौसम बारीश की तरह,
पर मील गये हो तो बरसते क्युं नहीं रातभर !
**ब्रिंदा**
Thursday, September 1, 2011
"તુ એક ક્ષણ માંગે,
ને અહી તો ક્ષણૉ નો દરિયો,
એક ક્ષણ ક્યાંથી હાથ આવે?"
ક્ષણિક તારુ આગમન ને અનુરાગ,
ક્ષણમા જ તે જાણે અકળ બન્યું ,
સ્થળ કાળની સીમા વગરની ક્ષણ,
સ્થાયી બની ને જીવન બક્ષે તો શું?
લોકો છોને કહે જીવન ક્ષણભંગુર,
ક્ષણ ક્ષણનાં સેતું ઉપર ચાલતા ચાલતા,
કેવું માત્ર ક્ષણિક તને મળવું,
તોયે , એ જીંદગી,
કેવું અલ્હાદક આલિંગન મારું તને!!
*બ્રિંદા*
ને અહી તો ક્ષણૉ નો દરિયો,
એક ક્ષણ ક્યાંથી હાથ આવે?"
ક્ષણિક તારુ આગમન ને અનુરાગ,
ક્ષણમા જ તે જાણે અકળ બન્યું ,
સ્થળ કાળની સીમા વગરની ક્ષણ,
સ્થાયી બની ને જીવન બક્ષે તો શું?
લોકો છોને કહે જીવન ક્ષણભંગુર,
ક્ષણ ક્ષણનાં સેતું ઉપર ચાલતા ચાલતા,
કેવું માત્ર ક્ષણિક તને મળવું,
તોયે , એ જીંદગી,
કેવું અલ્હાદક આલિંગન મારું તને!!
*બ્રિંદા*
Sunday, June 5, 2011
धुंआ धुंआ सा है,तेरे मेरे बीच,
पर,मुझे दिखती है सिर्फ तेरी अधःमुंदी सी आंखे!
जब सपने देखने चाहीये अपने लिये तुझे,
पर, तुम देखते ही देखते पी लेते हो धूंधला जहां सारा!
मैन देखुं धूआं को सुबह की ओंस,तीतलीयां, खीलते फुल की तरहा,
पर,तुम हो की देखते हो उस्मे अपना भविष्य धूधला सा!
वो जलता हुवा लाल अन्गारा तेरे मेरे बिच,
जैसे बचा हुवा जहां तुम्हारा जल रहा अंतरमन सा !
मैं देखुं वो लाल अंगारा उगता हुआ सुरज तेरे कल का,
पर,तुम्हे दिखता वो, अनकहे, सुलगते ख्वाब सा !
मैं देखु झिल मिल कोह्ररा झिल के उपर छाया सा,
पर,तुम उस्मे देखो, अपने आप को अजनबी सा, गुमनाम सा!
मैं देखु प्यार भरा दिल तुम्हारा खोया कहीं धूंएमे जरा सा,
पर,तुम गुम्सुम से खोये ऐसे की प्यार क्या महेसुस करते थोडा सा?
मैं तुम्हे पता नही मिल पाऊं कि कह पाऊं इतना सा,
धूंआ धूंआ से है लोग सब यहां,
उनके लिये क्या धूआं होना????????????
**ब्रिंदा**
please say no to tobaco.!
पर,मुझे दिखती है सिर्फ तेरी अधःमुंदी सी आंखे!
जब सपने देखने चाहीये अपने लिये तुझे,
पर, तुम देखते ही देखते पी लेते हो धूंधला जहां सारा!
मैन देखुं धूआं को सुबह की ओंस,तीतलीयां, खीलते फुल की तरहा,
पर,तुम हो की देखते हो उस्मे अपना भविष्य धूधला सा!
वो जलता हुवा लाल अन्गारा तेरे मेरे बिच,
जैसे बचा हुवा जहां तुम्हारा जल रहा अंतरमन सा !
मैं देखुं वो लाल अंगारा उगता हुआ सुरज तेरे कल का,
पर,तुम्हे दिखता वो, अनकहे, सुलगते ख्वाब सा !
मैं देखु झिल मिल कोह्ररा झिल के उपर छाया सा,
पर,तुम उस्मे देखो, अपने आप को अजनबी सा, गुमनाम सा!
मैं देखु प्यार भरा दिल तुम्हारा खोया कहीं धूंएमे जरा सा,
पर,तुम गुम्सुम से खोये ऐसे की प्यार क्या महेसुस करते थोडा सा?
मैं तुम्हे पता नही मिल पाऊं कि कह पाऊं इतना सा,
धूंआ धूंआ से है लोग सब यहां,
उनके लिये क्या धूआं होना????????????
**ब्रिंदा**
please say no to tobaco.!
Thursday, June 2, 2011
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