Monday, December 19, 2011

ख्वाबो का दौर होता तो कभी खत्म भी हो जाता,
पर तुम तो ख्वाब का दरिया हो ,
मेरे उपर बेपरवाह छाया हुआ.!
मुलाकात का सिलसिला कभी तो "शुक्रिया' से खत्म तो हो जाता,
पर तुम तो मेरे जीने का फलसफा हो,
मेरे दिल मे सांसे लेता हुआ!
रास्ता सैर का होता तो मंझिल पे खत्म तो हो जाता,
पर तुम तो कभी ना खत्म हो वो रास्ता हो,
मेरी मौजुदगी इस जहां मे दिखाता हुआ!
तेरा और मेरा मुसल्सल युं ऐसे इसी राह पे चलना और चलते रहेना!
**ब्रिंदा**

Friday, December 2, 2011

एक पल तुम्हे सोचू,
फिर सोचू,
तुम्हे मैं क्यूं सोचू?

तेरा आना चुपके से,
दबे पांव सुस्त से सपने जैसा,
अपने सपने को शबभर चलाना,
फीरभी मेरे दिल का युं उंमडना,
एक पल के लिये भी
मै तुम्हे क्युं सोचू?

पत्ते गिरते है पतझडमें तडपके नीचे जमी पे,
एक साल तरसते हैं जैसे,ताकते रहेते हैं,नीचे बिछी जमीं को,
तेरा ऐसे ही तडपके मुझेयुं मीलना,
फिर भी,एक पल भी कभी ना मैं तूम्हे सोचू !

एक पल सोचूं तुम्हे,
मैं जब 'मैं" बोलुं तो सोचूं की,
मैं 'तु" बोलुं!
ईतनाभी फासला नही है, मैं और तुं के बीच,
फीरभी मैं तुम्हे एक पल क्युं सोचुं ?

जब एक पल तुम्हे सोचू,
ठंडी चट्टानो पे चलते, पांव मे मीठी ठंडक लगे जैसे,
फिरभी कोहरे की खूश्बु और गर्मी सा,
तेरा मुझसे गुफ्तगु करना,

एक पल सोचूं तुम्हे,
की कभी ना तुं सोचे मुझे!!!!!
**ब्रिंदा**
मैने देखा, कंचो पे छाया सूरज,
और फैली किरने,
पर क्युं परछाई कोई नही!!

काश! मैं कंचा की तरह काच होती,
अपने आपा को खुद ही देखती,
आरपार सुनहरी किरने छा जाती,
कोई परछाई रहेती नही.......!!
**ब्रिंदा**