एक ही ख्वाब................एक ये ख्वाब....!!
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सुनो....
सुनो ना....
तुम ने कहा था,
" प्रश्न करो.....
प्रश्न करने से जीवन रहेता है,,,,,
वरना एक ही जवाब मे जैसे अंत जीवन का......"
तुमने हल्के से मेरी लट सहलाते हुऍ कहा,
"जीवन रोज सरकता है,
अपने प्रश्नोमे जवाब ढुंढते हुए जीवन जीओ,
क्युंकी तुम अपनी जींदगीको कीसीके जवाब की मोहताझ न बनाओ"!
कितना प्यार था तुम्हारी आंखो मे और,
उसमे मेरी जिंदगीकी आरझु भरी थी,
मेरे गालों को तुमने हल्के से छुआ तुमने,
और फिर तुमने आखिर मे कहा.....
"जब तुम्हे सब जवाब मील जाये तो समजना,
की सब तुम्हे प्रश्न बनायेंगे,
युं ही फालतु मे उलझायेंगे,
तुम उनकी बातों मे न आना,
सामना प्रश्नो से करते रहेना" !
और बडे प्यार से माथा मेरा चुमा तुमने,
और बाहों मे भर लीया !
हम दोनो के बीच एक समुन्दर सी शांति थी
और आंखो मे समुन्दर............................,
मैने तुम्हारी छाती से अपना सर उठाया
और
उस भुरे समुन्दर के पार से पुछा......
तो फीर,
"तुम कौन हो?
और मैं ?
मैं कौन हुं??"
कहो....!! ??
**ब्रिंदा**
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