Wednesday, July 4, 2012


बारीश के लिए कभी सोचा नहीं ऐसा तो नहीं,
पर ऐसे ही कभी लिखा नहीं !

हंमेशा रीमझीम बुंदे गीरती हे प्यार की ऐसा तो नहीं,
पर उसका अकाल कभी हुआ नही !

हंमेशां बाढ आये और दिलका आलम बह जाये ऐसा तो नहीं,
पर दिल है की तेरे बिना बाझ आये नही !

हंमेशां हाथ फैले और तुं पास हो ऐसा तो नहीं,
पर मेरे हाथ मे तेरा हाथ ना हो ऐसा हुआ नही !

हंमेशां सिर्फ सोचने से मिलती है मन्नत ऐसा तो नहीं,
पर में सोचुं तुजे और तुं ना मीले ये हुआ नहीं !

हंमेशा तुं बरसता है और प्यास बुझती है, ऐसा तो नही,
पर तेरी खुश्बु का नशा न छाये ये कभी हुआ नहीं !

हंमेशा टपकती तेरी छमछम बुंदे ठंडक दिलाये ऐसा तो नहीं,
पर तेरी दी हुई प्यास तुं न बुझाये ऐसा कभी हुआ नहीं !!

**ब्रिंदा**


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