Saturday, November 17, 2012

निष्पलक आँखे ,
पर प्यार से बोझील
झूकती नहीं , टकटकी लगाए ,
पलको  के पोरों   से ,
प्यार पिरोती रहेती है!

सुनहरे पल सी ,
सुनहरी आँखे ,
देखी है कभी दौड़ती हुई आँखे ??
पीछे पीछे चलती हुई आँखे ??
फिर भी दिल में  फैलती हुई आँखे ??

अपनी पलकों में रुम्ज़ुम ,
यादो की पोटली  साथ लिए
फिरती और मचलती  आँखे ?
आँखों से ही आँखों में
याद पिरोती सुनहरी आँखे ?

निष्पलक आँखों की बोली ,
के  आगे,
शब्दों की बोली 
की किंमत कुछ नहीं,
मै हार गई निष्पलक देखके !!
**ब्रिंदा **




No comments:

Post a Comment