Sunday, December 2, 2012

ख्वाहिशे हज़ारो नहीं,
एक ही ख्वाहिश की ,,,,,
हवा के हर झोंको में तेरी खुशबु आये !

ख्वाहोशों का क्या है ,
जब कही से भी गुजरू ,
उस हर जगह के कोने में ,बस तुं नझर आये  !

ख्वाहिशें वैसे कहा सबकी पूरी  होती है ,
मेरी ख्वाहिश करने से पहेले ,
तेरी आवाज़ मुझे आये !

कभी लगे के  मेरी हर साँस तेरी ही बदौलत है ,
पर जब में आखरी साँस लू ,
मेरी नज़र के सामने बस तुं  आये !

ख्वाहिश बस इतनी सी ,
आज में पढूं नज़्म किसीकी  लिखी ,
कल झमाना पढ़े मेरी नज़्म तेरे लिए लिखी !!
**ब्रिंदा**

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