तेरे बारे मे ना सोचु तो जरा करार सा लगता है!
मेरी नई तनहाई का आलम नया सा लगता है!
ना तुं आयेगा, ना तेरा खयाल्,
सांसे मेरी जैसे खमोश सी मध्धम चलती रहेगी !
ना मेरा झुमना तेरी खुशी मे,ना मेरा नाचना बाहें डालके,
ना तेरे लिये मेरा सजना संवरना और मुस्कुराना!
दिन निकलता है तो भले निकले,रात भी जाये,
अब घडी या समय या नियम से क्या नाता?
अब तो रोज मै ऐसे फिरुं रस्ते मे, घर मे,
जैसे सदियों से नाता नहीं तेरे प्यार से मुझे!
तेरे बगैर दुनिया अजीब सी नई लगती है,
सिर्फ तूजे ही देखने मे मैने अनदेखा किया वो दुनिया दिखती है!
पर क्या करुं ? तनहाईयां तेरी दी हुई है............
फिर भी तेरे जितनी ही..ना!......कुछ ज्यादा ही प्यारी लगती है!
**ब्रिंदा**
No comments:
Post a Comment