Friday, September 23, 2011

देखो,
सपने से मिला सपना,
तुम तो बिलकुल वैसे ही, जैसे सामने होते हो,
वो ही अल्लहडपन~ आवारगी,
हंसना तुम्हारा वोही, बेरुखी भी....इश श श...वोही!

बोलो,
तुम भी तो वोही, चलते फिरते,
अपने बालो को सहलाते,
और मेरी तरफ अपनी आंखे ठहराते हुए,
आंखो मे जैसे लब्झ जमे हो,पर कूछ कहेते ही नही !!

सुनो,
लोग कहेते है की सपनो की दुनिया बडी हसीन होती है,
पर, तुम तो वोही तुफानी आंखो के साथ मिलते हो,
आंखों मे ही क्या अपना प्यार छुपाते हो?
सपने मे भी दिल क्युं दिखाते नहीं?

सोचो,
लोग कहेते है की सपनो मे परवाली परी होती है,
पर, तुम और मै तो युहीं हाथ मे हाथ लिये बाते किये जा रहे हैं~ हंसते हुए,
लोग ना जाने कैसे बीना पंख उडते है , खयालो में,
और तुम, मुजे बिना पंख अजीब सफर कराते हो!

एक बार कहो,
मेरे सपने मे मीला तुम्हारा सपना !!
**ब्रिंदा**

No comments:

Post a Comment