Tuesday, October 4, 2011

तुम जब ये शहर छोडो ,
तो अपनी खूश्बु छोड जाना!
तुम जाते जाते शहर से,
अपने साथ बहार ना ले जाना !
तुम गुजरे थे जहां से,
तुम्हारी उंगलियों की तस्वीर दिवारों पे लिख जाना!
ओ जाना,जब तुम छोडो शहर,
तो अपने साथ बादलो का काफिला यहीं छोड जाना!
बादलों की झरुरत होगी आंखोंको बरसने के लिये,
दुनिया के सामने क्या रोना जाना!
मेरे जाना, जब तुम छोडो शहर,
तो अकेले मत जाना, अपने साथ मुजेभी ले जाना !
तुम जाते जाते मेरा ना एक बार पुकारना,
तुम्हारे जाने के बाद गुंजती रहेगी मेरे आसपास जाना !
जानेजाना,तुम जब छोडो शहर,
तो दुर न रहेकर एकबार गले लगा लेना जाना!
खिडकी पे ताकती मासुम धुपके जैसे,
अपनी खरी मुस्कान छोड जाना, ओ,,जाना!
**ब्रिंदा**

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