जो पल जीये, उसे शब्द पहेनाये मैने,
कोई शिकवा नहीं, कोई गिला नहीं,
इतना मिलने के बाद,
ए,जिदगी, तुजे एक कविता बनाई मैने,
... आंखे खोलुं तो उजाले भर देती है तुं,
आंखे मुंदू तो सपने सजा देती है तुं.
मै सोचुं, क्युं ईतना प्यार है मुजेसे तुम्हे,
तो बोली क्यु लुभाती है तुं !
हां,
मुजपे झूकती है, तेरी नाझुक, मासुम पलको की तरह तुं,
या,
कभी थोडी सी चूभती है, दो दिन बढ़ी तेरी दाढी की तरह तुं !
तेरे साथ का एक पल पुरी जिंदगी जिया जैसे,
बस,तेरी एक पल के लीये कीतनी जिंदगी युंही जी ली मैने!
**ब्रिंदा**
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