Radhe Krishna
Friday, December 2, 2011
मैने देखा, कंचो पे छाया सूरज,
और फैली किरने,
पर क्युं परछाई कोई नही!!
काश! मैं कंचा की तरह काच होती,
अपने आपा को खुद ही देखती,
आरपार सुनहरी किरने छा जाती,
कोई परछाई रहेती नही.......!!
**ब्रिंदा**
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