Thursday, January 17, 2013

फिर शब्द नहीं रहेते ,
शब्द तैरते है पर ,
लैब पे आने जरुरी नहीं बनाते !
जब हम साथ होते है अपनो के पास ,
तो शब्द के मायने नहीं रहेते !

दूरियाँ बनाती है कहानियां ,
और बिछड़ने पे कवितायेँ  ,
जब आँखे मिलती है
लब हसते है और चार हाथ मिलते है
तो शब्द के मायने बदलते है !

जब सिर्फ शब्द रहेते है ,
तो वो सिर्फ जैसे किताबो में रहेते है ,
एक सलीके से छपे ,चमकते इश्तिहार जैसे ,
कागज़ के साथ चिपका शब्द ,
पर उसका कागज़ के साथ कोई जज्ज्बाती मायने नहीं रहेते !

और वो शब्द शब्द नहीं रहेते !! कभी नहीं !!!
**ब्रिंदा **

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