सिर्फ तेरा नाम..........
आसमां पे रहेती थी मैं ,
नर्म नर्म बादलो के दर्मियां !
जमी पे उतारा हौले से तुने,
जमी पे पॉव तो रख दीया,
पर उस जमी पे नही है तो सिर्फ नाम तेरा!
आंख उठा के देखती हुं आसमा की और,
तो दीखा हर जगह दिदार तेरा.
पर क्या कहुं? उस चान्द पे नही है तो सिर्फ नाम तेरा!
मिलना खयालो मे तो रोज होता है,
जैसे उमडती है आंधियां प्यार की,
और बढती है मेरी और प्यास की,
पर उन हवाओ पे कहां? नही है तो सिर्फ नाम तेरा!
कभी कभी दिल युं मचलता है ,
की छु के जरा तुजे देखुं,
वो छुना भी तो कैसा? जैसे तुम्हारी सोच को छु लीयां.
सोच मुजमे घुलती है खुब ,
पर उस सोच पे नही है तो सिर्फ नाम तेरा !
याद आ आ के गीरती है रोज मुज पे,
जैसे तेरी उंगलियां बीखरायें झुल्फो को मेरी,
पर उस याद पे नही है तो सिर्फ नाम तेरा!
मेरे साये पे है तेरा साया हमेशां युं मन्डराता,
जैसे मेरी सांसो पे है तेरी सांसो का पहेरा हंमेशा!
पर सायो की सांसो पे नही है तो सिर्फ नाम तेरा!
**ब्रिंदा**
मेरे साये पे है तेरा साया हमेशां युं मन्डराता,
ReplyDeleteजैसे मेरी सांसो पे है तेरी सांसो का पहेरा हंमेशा!
पर सायो की सांसो पे नही है तो सिर्फ नाम तेरा!
**ब्रिंदा**
बहुत सुन्दर लिखती हैं आप