Monday, February 13, 2012

तेरा एक पांव मोड के ,
दिवार के सहारे खडे रहेना,
तेरा युंही मस्ती में मुस्कुराके
दोस्तो के कंधे पे हाथ रखे रहेना !

तेरा वो बातों बातों मे आखे घुमाना,
फिर देखना एक पल, और देखते रहेना,
तेरा वो बेबस होना,
तेरा सांसो को जरा सा रोकना,
और बेबसी मे अपनी झूल्फो को थोडा सा सहारना,
तेरे अधखूले होठो से 'आह..'सा निकलना,

फिर तेरा आंखो से ही पुछना मुझे,
"तुम वाकई तुम हो ना ?!",
मेरा वो मुस्कुराना और मेरी पलके झूकी झूकी सी,
मेरा अपने आप से कहेना,"मै और तुम्हारी मंडराती हुई आंखे..!!"
**ब्रिंदा**





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