Tuesday, February 14, 2012

तेरा आने का वक्त,
और वक्त कटता नही,,,
सीडीयों पे धूप चमकती है,
पर तेरे आनेकी आहट नही,,,,

ईंतझार मे खिडकियों से झाकूं,
ऐसे ही तो खामोशियां गुननुनाती नहीं,
परदे की सिलवटे सवांरुं,
पर तुं है की आता नहीं,,,,,,

वो तेरा दरवाझे पे थोडा सा रुकना
और फिर तेरा युं हसते हुऍ चले आना,
याद आता है..,
पर आज तेरी एक आहट नहीं,,,,,

वो धीरे से कहेना तेरा,
"कैसी है रे तुं..."
वो मेरा तेरे गले मे बांहे डालना,
पर तु है की, आज कहेता नही,,,,!!!
**ब्रिंदा**





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