Wednesday, September 19, 2012

आवाज़ है की कितनी बोलती है,,, ,वो भी  कई सुरों में !

गुलजारजी ने अस्कर कहा है की .....
"बोलिए सुरीली बोलियाँ.... बोलिए ....""
पर आवाज़ है की अनेक सुरों में ही बोलती है बोलियाँ !!

तुम्हे मै क्या कहु !!
तुम याद आते हो तो सुस्त चुप सी साँस जैसे
बोलती है बोलियाँ !

तुम्हे क्या , याद आना पर तुम्हारा न आना !
आने पे तुम्हारे , ये आवाज़ में आ जाती है ,
जैसे जान , मेरे जाना !

कैसे लहेराती सुरों में सुरीली बजती है मेरी बोलियाँ ,
उफ़ ..... ये आवाज़ है की कितने ताल में डोलती है !!
क्या कहे ये बोलियाँ !

आंखोमें  आंसु न भी हो तो आवाज़ आंसु में डुबोती है  बोलियाँ ,
दर्द के परिंदों को अपनी कोख में छुपाके गुटर -गुं ...
सी बोलती है ये बोलियाँ !!

पर तुम्हे क्या !!??
तुम्हारे कई कहेकाहे में अक्सर डूब जाती है
मेरी नर्म बोलियाँ !!

आवाज़ है की .........................!!
**ब्रिंदा **






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