पागलपन सा शोर है दिल में ....
आवाज़ अंदर है दिल में .........
मगर चिख उठती है आसमान में !
चिखु, चिल्लाऊ और सब को बताऊ क्या ?
मुझे तुम से बहोत प्यार है ........
मौन की भाषा में ना जाने कितने पर्याय है ....
तुजे गर मै ये कहु ,
तुम से मुजे बहोत नफ़रत है !
एक तू ही है,
जीसके कारन दुनिया से मै अलग हु ,
वरना सुबह से शाम
दुनिया में मेले क्या कम है ?
पागलपन में हसना जायज़ है,
मुस्कुराहट अंदर है दिल में ,
मगर कहकहे खुल्लेआम है !
तेरा चुपके से आंखो में ही मुस्कुराना
शायद मेरे पागलपन की दवा है !
**ब्रिंदा **
आवाज़ अंदर है दिल में .........
मगर चिख उठती है आसमान में !
चिखु, चिल्लाऊ और सब को बताऊ क्या ?
मुझे तुम से बहोत प्यार है ........
मौन की भाषा में ना जाने कितने पर्याय है ....
तुजे गर मै ये कहु ,
तुम से मुजे बहोत नफ़रत है !
एक तू ही है,
जीसके कारन दुनिया से मै अलग हु ,
वरना सुबह से शाम
दुनिया में मेले क्या कम है ?
पागलपन में हसना जायज़ है,
मुस्कुराहट अंदर है दिल में ,
मगर कहकहे खुल्लेआम है !
तेरा चुपके से आंखो में ही मुस्कुराना
शायद मेरे पागलपन की दवा है !
**ब्रिंदा **
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