Tuesday, September 11, 2012

पागलपन सा शोर है दिल में ....

आवाज़ अंदर है दिल में .........

मगर चिख उठती है आसमान में !

चिखु, चिल्लाऊ और सब को बताऊ क्या ?

मुझे तुम से बहोत प्यार है ........

मौन की भाषा में ना जाने कितने पर्याय है ....

तुजे गर मै ये कहु ,

तुम से मुजे बहोत नफ़रत है !


एक तू ही है,

जीसके कारन दुनिया से मै अलग हु ,

वरना सुबह से शाम

दुनिया में मेले क्या कम है ?


पागलपन में हसना जायज़ है,

मुस्कुराहट अंदर है दिल में ,

मगर कहकहे खुल्लेआम है !


तेरा चुपके से आंखो में ही मुस्कुराना

शायद मेरे पागलपन की दवा है !

**ब्रिंदा **

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