Friday, August 24, 2012

शायद तुम्हारे लिये आज  मैं गाऊं,

मेरे सुरो मे बहेकर तुम्हारे पास आ जाऊं,
एक तुं ही, तुं ही, एक तुं ही, तुं ही....!!

एक तुं ही मेरा,तेरे में लीन हो जाऊं !
तुम मेरे साथ रहेना सदा,एक तुं ही साथ रहेना सदा !

शब्द कहीं खो गये हैं मेरे, तुम्हारे कान कहीं और,
बोलने की मेरी चाह नहीं , सुनने की क्या तुम्हे आदत नहीं !

सूर जब विलीन हो  मेरा, तो शायद मेरे लिये गाए तुं !
सोच ले,,,, शायद आज तुम्हारे लिये गाऊं में !

एक ही आस की मेरी धून मे तुं गुनगुना,
और उसी गुनगुनाहट मे मैं तुजे पा जाऊं !

फिर मैं रोज तेरे लिये गाऊं !
**ब्रिंदा**



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