कभी कोई खुश्बु सी आये और तु बैचेन सा हो जाये,
तो सोचना की मैं आसपास हुं !
अपने दिलको बैचेन बनाके , वक्त युं ही बरबाद न करना,
क्युं की, मैं तेरे आसपास तो हुं !
कभी युं भी तो हो, की हवा खुश्बु बहा ले जाये,
तो अपने को सम्हालना, की मैं आसपास तो हुं !
अपनी आंखो पे, सोच के पर्दे डाल देना रे,
तो ख्वाब सा बुनना की,मैं आसपास ही हुं !
कभी कोई जूठे अहेसास दिलाये, और तुं आपा खो दे,
तो भुले से ये ना सोचना की , मैं आसपास नहीं हुं !
तो फीर , अपने गालो पे एक चुटकी सी ले लेना,
मीठे सपने से जाग जाना , की मैं तेरे आसपास नहिं,
तूज में ही हुं !!
**ब्रिंदा**
तो सोचना की मैं आसपास हुं !
अपने दिलको बैचेन बनाके , वक्त युं ही बरबाद न करना,
क्युं की, मैं तेरे आसपास तो हुं !
कभी युं भी तो हो, की हवा खुश्बु बहा ले जाये,
तो अपने को सम्हालना, की मैं आसपास तो हुं !
अपनी आंखो पे, सोच के पर्दे डाल देना रे,
तो ख्वाब सा बुनना की,मैं आसपास ही हुं !
कभी कोई जूठे अहेसास दिलाये, और तुं आपा खो दे,
तो भुले से ये ना सोचना की , मैं आसपास नहीं हुं !
तो फीर , अपने गालो पे एक चुटकी सी ले लेना,
मीठे सपने से जाग जाना , की मैं तेरे आसपास नहिं,
तूज में ही हुं !!
**ब्रिंदा**
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