मैंने तो ऐसे ही पलके उठाते देखा,आयना चमक रहा था ,
दोनों की आंखे मीली,वो प्यार की तपीस गालो में थी,
और मखमली चीलमन् यादो की धीरे से गीरी,
मेरी और तेरी यादें आपस में जैसे मील गई !
तुम तो हमेंशा कहेते थे की, मेरी आंखों मे देखो,
तो मैं ने वो भी कर लिया , देखो.........
आयने से टकटकी लगाती रही, आंखें गीली हो गई,
बीच में अब वो चीलमन नहीं थी ना !!!!
और मैं घुलती गई अपने आप में,
क्या खुद को देखना और पाना,
खुद ही में हो कर खोना ,ईतना दुष्कर होता होगा ?
या हम किसी को सिर्फ खुद के लीये ही पाते होंगे ?
ऐसे ही मैं ने , एक पल नझरे उठाई,
आयने मे मैंने अपने आप को कैसे पा लीया,
अपनी "खुदी" को मैंने खो दीया,
अपनी "खुदी" को खुदाई सा पा लीया !
**ब्रिंदा**
{खुदी=अभीमान} {खुदी= आत्म संतुष्टी}
दोनों की आंखे मीली,वो प्यार की तपीस गालो में थी,
और मखमली चीलमन् यादो की धीरे से गीरी,
मेरी और तेरी यादें आपस में जैसे मील गई !
तुम तो हमेंशा कहेते थे की, मेरी आंखों मे देखो,
तो मैं ने वो भी कर लिया , देखो.........
आयने से टकटकी लगाती रही, आंखें गीली हो गई,
बीच में अब वो चीलमन नहीं थी ना !!!!
और मैं घुलती गई अपने आप में,
क्या खुद को देखना और पाना,
खुद ही में हो कर खोना ,ईतना दुष्कर होता होगा ?
या हम किसी को सिर्फ खुद के लीये ही पाते होंगे ?
ऐसे ही मैं ने , एक पल नझरे उठाई,
आयने मे मैंने अपने आप को कैसे पा लीया,
अपनी "खुदी" को मैंने खो दीया,
अपनी "खुदी" को खुदाई सा पा लीया !
**ब्रिंदा**
{खुदी=अभीमान} {खुदी= आत्म संतुष्टी}
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