तापी ने मुज से पूछा ,,,,
" क्यों डोले है मन तेरा , मेरी तरह...
जब बादल गरज के बरसते है !
क्यों सौ किरणे चमके तेरी आँखों में , मेरी तरह ...
जब सूरज तेरे माथे पे चमकता है !
क्यों इतनी मचलके लेती है सौ अंगडाईया , मेरी तरह ,
जब कोई आवाज़ बिजली बनके दिल पे गिरती है !
क्यों निरंतर धारा में बहेती है , मेरी तरह ,
जब बांवरा मन कही और दौड़ता है !
क्यों सब कुछ बहा के ले जाती हो , मेरी तरह ,
जब मन किसी से पगला जाता है !
क्यों आसमान छुपा लेती हो सीने में, मेरी तरह ,
जब साँसे बैचैन किसी की होती है !
क्यों कोहरा छाए तुम पर तो, मेरी तरह ,
जैसे खुद को छुपाती हो दुनिया से !
क्यों मेरे बिना किसीका सहारा है कोई ,
ना तेरे बिना किसीका है कोई !!
फिर तू अपना नाम " तापी " क्यों नहीं
रख लेती ... ओ अलबेली ..हममम ??
**ब्रिंदा **
" क्यों डोले है मन तेरा , मेरी तरह...
जब बादल गरज के बरसते है !
क्यों सौ किरणे चमके तेरी आँखों में , मेरी तरह ...
जब सूरज तेरे माथे पे चमकता है !
क्यों इतनी मचलके लेती है सौ अंगडाईया , मेरी तरह ,
जब कोई आवाज़ बिजली बनके दिल पे गिरती है !
क्यों निरंतर धारा में बहेती है , मेरी तरह ,
जब बांवरा मन कही और दौड़ता है !
क्यों सब कुछ बहा के ले जाती हो , मेरी तरह ,
जब मन किसी से पगला जाता है !
क्यों आसमान छुपा लेती हो सीने में, मेरी तरह ,
जब साँसे बैचैन किसी की होती है !
क्यों कोहरा छाए तुम पर तो, मेरी तरह ,
जैसे खुद को छुपाती हो दुनिया से !
क्यों मेरे बिना किसीका सहारा है कोई ,
ना तेरे बिना किसीका है कोई !!
फिर तू अपना नाम " तापी " क्यों नहीं
रख लेती ... ओ अलबेली ..हममम ??
**ब्रिंदा **
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