Tuesday, September 25, 2012

तापी ने मुज से पूछा ,,,,
" क्यों डोले है मन तेरा , मेरी तरह...
                जब बादल गरज के  बरसते है !
क्यों सौ किरणे चमके तेरी आँखों में , मेरी तरह ...
              जब सूरज तेरे माथे पे चमकता है !

क्यों इतनी मचलके लेती है सौ अंगडाईया , मेरी तरह ,
               जब कोई आवाज़ बिजली बनके दिल पे गिरती है !

क्यों निरंतर धारा में बहेती है , मेरी तरह ,
             जब बांवरा मन कही और दौड़ता है !

क्यों सब कुछ बहा के ले जाती हो , मेरी तरह ,
             जब मन किसी से पगला जाता है !

क्यों आसमान छुपा लेती हो सीने में,  मेरी तरह ,
           जब साँसे बैचैन किसी की होती है !

क्यों कोहरा छाए तुम पर तो, मेरी तरह ,
          जैसे खुद को छुपाती हो  दुनिया से !

क्यों मेरे बिना किसीका  सहारा है कोई ,
         ना तेरे बिना किसीका है कोई !!

फिर तू अपना नाम " तापी " क्यों नहीं
       रख  लेती ... ओ अलबेली ..हममम ??
**ब्रिंदा **
         

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